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मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध | Meri Avismarniya Yatra Essay in Hindi | Essay in Hindi | Hindi Nibandh | हिंदी निबंध | निबंध लेखन | Essay on my unforgettable journey in Hindi

By: Amit Singh

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध | Meri Avismarniya Yatra Essay in Hindi

“सैर कर दुनिया की गाफिल, जिन्दगानी फिर कहाँ,  जिन्दगानी गर रही तो, नौजवानी फिर कहाँ।”

मैं शुरू से ही घुमक्कड़ प्रवृत्ति का हूँ तथा राहुल सांकृत्यायन की तरह नवाज़िन्दा-याजिन्द्रा की लिखी उपरोक्त पंक्तियाँ मुझे भी घूमने हेतु प्रोत्साहित करती रही हैं। मुझे अगस्टीन की कही बात बिल्कुल सत्य प्रतीत होती है-“संसार एक महान पुस्तक है, जो घर से बाहर नहीं निकलते वे व्यक्ति इस पुस्तक का मात्र एक पृष्ठ ही पढ़ पाते हैं।” पिछले पाँच वर्षों में मैंने भारत के लगभग बीस शहरों की यात्रा की है, इनमें दिल्ली, मुम्बई, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गोवा आदि शामिल हैं।

इन शहरों में भुवनेश्वर ने मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया है। पिछले वर्ष ही गर्मी की सप्ताह भर की छुट्टी में मैं इस शहर की यात्रा पर था। यह यात्रा मेरे लिए अविस्मरणीय है।

मैं दिल्ली से रेल यात्रा का आनन्द उठाते हुए अपने सभी साथियों के साथ सुबह लगभग दस बजे भुवनेश्वर पहुँच गया था। हमने पहले ही होटल बुक करवा लिया था। वहाँ पहुँचकर सबसे पहले हम होटल में गए। मैं इस शहर के बारे में पहले ही काफी कुछ सुन चुका था। मेरे सभी दोस्त चाहते थे कि उस दिन आराम किया जाए, लेकिन मैं उनके इस विचार से सहमत नहीं था। मेरी व्याकुलता को देखते हुए सबने थोड़ी देर आराम करने के बाद तैयार होकर यात्रा पर निकलने का निर्णय लिया। भुवनेश्वर के बारे में जैसा हमने सुना था, उससे कहीं अधिक दर्शनीय पाया।

भुवनेश्वर, भारत के खूबसूरत एवं हरे-भरे प्रदेश ओडिशा की राजधानी है। यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता देखते ही बनती है। ऐतिहासिक ही नहीं धार्मिक दृष्टिकोण से भी यह शहर भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। इसे ‘मन्दिरों का शहर’ भी कहा जाता है। यहाँ प्राचीनकाल के लगभग 600 से अधिक मन्दिर हैं, इसलिए इसे पूर्व का काशी’ भी कहा जाता है।

तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने यहीं पर कलिंग युद्ध के बाद धम्म की दीक्षा ली थी। धम्म की दीक्षा लेने के बाद अशोक ने यहाँ पर बौद्ध स्तूप का निर्माण कराया था, इसलिए यह बौद्ध धर्मा बलम्बियों का भी एक बड़ा तीर्थ स्थल है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में भुवनेश्वर में 7,000 से अधिक मन्दिर थे, इनमें से अब केवल 600 मन्दिर ही शेष बचे हैं।

हम जिस होटल में ठहरे थे, उसके निकट ही राजा-रानी मन्दिर है, इसलिए सबसे पहले हम उसी के दर्शनों के लिए पहुँचे। इस मन्दिर की स्थापना ग्यारहवीं शताब्दी में हुई थी। इस मन्दिर में शिव एवं पार्वती की भव्य मूर्तियाँ हैं। इस मन्दिर की दीवारों पर सुन्दर कलाकृतियाँ बनी हुई हैं। इस मन्दिर से लगभग एक किलोमीटर दूर मुक्तेश्वर मन्दिर स्थित है। इसे ‘मन्दिर समूह’ भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ पर एक साथ कई मन्दिर हैं।

इन मन्दिरों में से दो मन्दिर अति महत्त्वपूर्ण है- परमेश्वर मन्दिर एवं मुक्तेश्वर मन्दिर । इन दोनों मन्दिरों की स्थापना 650 ई. के आस-पास हुई थी। इन दोनों मन्दिरों की दीवारों पर की गई नक्काशी देखते ही बनती है। मुक्तेश्वर मन्दिर की दीवारों पर पंचतन्त्र की कहानियों को मूर्तियों के रूप में प्रस्तुत किया गया है। राजा-रानी मन्दिर एवं मुक्तेश्वर मन्दिर की सैर करते-करते हम थक गए थे। वैसे भी हम दोपहर के बाद सैर करने निकले थे और अब रात होने को थी। इसलिए हम लोग आराम करने के लिए अपने होटल लौट आए।

Meri Avismarniya Yatra Essay in Hindi

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अगली सुबह हम लोग जल्दी तैयार होकर लिंगराज मन्दिर समूह देखने गए। इस मन्दिर के आस-पास सैकड़ों छोटे-छोटे मन्दिर बने हुए हैं, इसलिए इसे ‘लिंगराज मन्दिर समूह’ भी कहा जाता है। इसका निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था। 185 फीट लम्बी यह मन्दिर भारत की प्राचीन शिल्पकला का अप्रतिम उदाहरण है। मन्दिरों की दीवारों पर निर्मित मूर्तियाँ शिल्पकारों की कुशलता की परिचायक हैं।

भुवनेश्वर की यात्रा इतिहास की यात्रा के समान है। इस शहर की यात्रा करते हुए ऐसा लगता है मानो हम उस काल में चले गए हो, जब इस शहर का निर्माण किया जा रहा था। शहर के मध्य स्थित भुवनेश्वर संग्रहालय में प्राचीन मूर्तियों एवं हस्तलिखित ताड़पत्रों का अनूठा संग्रह इस आभास को और भी अधिक बल प्रदान करता है।

भुवनेश्वर के आस-पास भी ऐसे अनेक अप्रतिम स्थल हैं, जो ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्त्व रखते हैं और जिनकी सैर के बिना इस शहर की यात्रा अधूरी ही रह जाती है। ऐसा ही एक स्थान है-धौली। यहाँ दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में निर्मित एक बौद्ध स्तूप है, जिसका जीर्णोद्वार हाल ही में हुआ है। इस स्तूप के पास ही सम्राट अशोक निर्मित एक स्तम्भ भी है, जिसमे उनके जीवन एवं बौद्ध दर्शन का वर्णन किया गया है। इसके अतिरिक्त भगवान बुद्ध की मूर्ति तथा उनके जीवन से सम्बन्धित विभिन्न घटनाओं से सम्बद्ध मूर्तियाँ भी देखने लायक है। धौली के बौद्ध स्तूप के दर्शन के बाद हम लोग भुवनेश्वर शहर से लगभग 6 किमी दूर स्थित उदयगिरि एच खण्डगिरि की गुफाओं को देखने गए। इन गुफाओं को पहाड़ियों को काटकर बनाया गया है। इन गुफाओं में की गई अधिकांश चित्रकारी नष्ट हो चुकी है, किन्तु यहाँ निर्मित मूर्तियाँ अभी भी अपने प्रारम्भिक स्वरूप में ही विद्यमान है।

सैर के बाद हम लोगों ने ओडिशा के स्थानीय भोजन का आनन्द उठाया। पखाल भात, छलु तरकारी, महूराली चडचडी एवं चिगुडि ओडिशा की कुछ लोकप्रिय व्यंजन है। पखाल भात एक दिन पहले बने बाचल को आलू के साथ तलकर बनाया जाता है। छतु तरकारी एक तीखा भोजन है, जो मशरूम से बनता है। ओडिशा के लोगों को भी बंगालियों की तरह मछली खाने का बहुत शौक है। महूराली चडचडी छोटी मछली से बनी एक डिश है।

चिल्का झील में पाई जाने वाली झींगा मछली से चिगुडि नामक डिश बनाई आती है। भुवनेश्वर की यात्रा को अविस्मरणीय बनाने के लिए हमने जमकर फोटोग्राफी की थी, किन्तु फोटो के साथ-साथ हम यहाँ की कुछ प्रसिद्ध वस्तुएँ भी ले जाना चाहते थे। यहाँ पत्थर से निर्मित बड़ी खूबसूरत वस्तुएँ, जैसे-मूर्तियाँ, बर्तन, खिलौने इत्यादि मिलते हैं। यहाँ की ताड़ के पत्तों पर की गई चित्रकारी भी लोगों को खूब पसन्द आती है, जिसे पत्ता चित्रकारी’ कहते हैं। हम सबने कई प्रकार की वस्तुएँ खरीदी। ये वस्तुएँ हमें हमेशा भुवनेश्वर की प्राचीन कला की याद दिलाती है।

भुवनेश्वर की यात्रा मेरे लिए ही नहीं मेरे सभी साथियों के लिए भी एक अविस्मरणीय यात्रा बन गई वस्तुतः किसी भी व्यक्ति की यात्रा का उद्देश्य केवल मनोरंजन ही नहीं, बल्कि मानसिक शान्ति प्राप्त करना भी होता है। सचमुच भुवनेश्वर के यातावरण में अजीब-सी पवित्रता घुली हुई है। इस यात्रा से हमारी मित्र मण्डली को जिस मानसिक शान्ति का अनुभव हुआ, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। इस अविस्मरणीय यात्रा से मैं भी डॉ. जॉनसन के इस कथन से पूर्णतः सहमत हो गया कि “यात्रा कल्पना को वास्तविकता में व्यवस्थित कर देती है।”

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Nibandh

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध

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रूपरेखा : प्रस्तावना - गंतव्य स्थान तक पहुँचना - वहाँ का वातावरण - दर्शनीय स्थल - अन्य मनोरंजन - बाजार - उपसंहार।

मुझे यात्रा करना बहुत अच्छा लगता है। मैंने आज तक कई यात्राएँ की हैं। पिछली छुट्टियों में मैं माथेरान गया था। यह यात्रा मेरे लिए यादगार बन गई है।

बारिश के मौसम में मैंने अपने कुछ मित्रों के साथ माथेरान जाने का निश्चय किया था। मेरा पड़ोसी में रहने वाला राहुल भी हमारे साथ था। वह कालेज में पढ़ता है। हम मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से ट्रैन में बैठे। ढाई घंटे के सफर के बाद हम नेरल पहुँचें।

वहाँ से हम छोटी ट्रैन जिसे 'मिनी ट्रेन' कहते है उसमें बैठकर माथेरान की ओर चल पड़े। चारों ओर फैली हरियाली, हरे भरे पेड़ और गहरी घाटियों की शोभा का आनंद लेते हुए हम माथेरान पहुँचे। वहाँ हम होटल में ठहरे।

माथेरान का वातावरण मोहक और स्फूर्तिदायक था। लाल-लाल मटमैले रास्ते और घने जंगल मन को मोह लेते थे। दोपहर के समय भी वहाँ की हवा में ठंडक थी। माथेरान में देखने लायक कई स्थल हैं। सुबह और शाम के समय हमने घूम-घूमकर इनमें से अनेक स्थल देखे।

यहाँ के हर स्थल की अपनी अलग सुंदरता और विशेषता है। पर कुछ स्थल तो सचमुच अद्भुत हैं। एको (प्रतिध्वनि) प्वाइंट पर हमने कई बार चिल्लाकर अपनी ही प्रतिध्वनियाँ सुनीं। दूसरे दिन शाम को हमने सनसेट (सूर्यास्त) प्वाइंट पर डूबते हुए सूर्य के दर्शन किए। पैनोरमा (चित्रावली) प्वाइंट ने तो हमारा दिल ही जीत लिया। शारलोट तालाब की शोभा निराली थी। हमने घुड़सवारी की और हाथ-रिक्शे पर बैठने का मजा भी लिया। हमने अपने कैमरों से वहाँ के कई स्थानों की तस्वीरें खीची। वहाँ हम रोज घंटों पैदल चलते थे, पर जरा भी थकान नहीं लगती थी।

माथेरान के छोटे-से बाजार में दिनभर यात्रियों का मेला-सा लगा रहता था। जूते-चप्पल, शहद, चिक्की, रंगबिरंगी छड़ियाँ, सुंदर-सुंदर फूलों के गुलदस्ते आदि चीजें यहाँ खूब बिकती हैं। हमने भी चिक्की और शहद खरीदा।

माथेरान में चार दिन चार पल की तरह बीत गए और हम घर लौट आए। वहाँ के मनोहर दृश्य आज भी मेरी आँखों के सामने तैर रहे हैं।

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My Unforgettable Journey Essay In Hindi | मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध

My Unforgettable Journey Essay In Hindi  मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध

मेरी अविस्मरणीय यात्रा संकेत बिंदु:

  • बस यात्रा का कारण
  • लापरवाह चालक

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध | My Unforgettable Journey Essay In Hindi

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

माता-पिता जी ने जम्मू स्थित माता वैष्णो देवी के दर्शन का कार्यक्रम बनाया। मेरे मन में इस यात्रा के प्रति बहुत उत्सुकता थी। मैं मित्रों और सगे-संबंधियों से प्रायः सुनता रहता था कि वे माता वैष्णो देवी के दर्शन करके आए हैं। मेरे विशेष आग्रह पर ही पिता जी ने यह कार्यक्रम बनाया था। बस-यात्रा का आयोजन पिता जी के कार्यालय के मित्रों ने किया था।

इसमें उनके मित्र और परिवारजन ही सम्मिलित थे। बस राजौरी गार्डन से चलनी थी। हम सामान सहित निर्धारित स्थान पर पहुंचे। बस दस बजे चलनी थी। पिता जी के मित्र शशिकांत ने बस का प्रबंध किया था। बस लगभग ग्यारह बजे आई। हम सब बस में बैठ गए। बस चल पड़ी। सबने माता वैष्णो देवी का जयकार किया। दिल्ली की सीमा पार करने में लगभग पैंतालीस मिनट लग गए क्योंकि स्थान-स्थान पर वाहनों का जमघट लगा हुआ था।

दिल्ली की सीमा पार करते हुए खुली सड़क आ गई। ड्राइवर बस तेज़ गति से चलाने लगा। मुझे बहुत डर लगा। धीरे-धीरे अन्य लोग भी बस की गति की चर्चा करने लगे। ड्राइवर को जाकर समझाया कि बस धीमी गति में चलाए। थोड़ी देर के लिए तो ड्राइवर धीमी गति से बस चलाता रहा पर फिर पहले की तरह ही तेज़ चलाने लगा। मुझे लग रहा था कि बस किसी-न-किसी पेड़ से अवश्य टकरा जाएगी। दूसरी ओर से ट्रक और बसें तेज़ गति से आ रहे थे। उनकी तेज़ रोशनी से आँखें चौंधिया जाती थीं।

एकाएक न जाने क्या हुआ बस झटके से बाईं ओर कच्चे रास्ते पर उतरकर हिचकोले खाने लगी। सबने अगली सीटों को पकड़ लिया। थोड़ी देर में ड्राइवर बस को फिर सड़क पर ले आया। मेरी जान में जान आई। सबने शोर मचाया और ड्राइवर को डाँटा। उसे बस ध्यानपूर्वक चलाने के लिए कहा। ड्राइवर को गुस्सा आ गया। वह कहने लगा–’मुझे बार-बार मत टोको। मुझे बस चलानी आती है।’

रात की ठंडी-ठंडी हवा से मुझे नींद आने लगी। मैं माता जी के कंधे पर सिर टिकाकर सो गया। एकाएक तड़-तड़-तड़ का शोर हुआ। मेरी नींद खुल गई। बस सड़क के किनारे खड़ी बैलगाड़ी से टकरा गई थी। अगला शीशा टूटकर ड्राइवर और अगली सीट पर बैठे रामदयाल जी पर आ गिरा था। ड्राइवर ने बस रोक ली। सभी ड्राइवर और रामदयाल जी को संभालने लगे। दोनों के मुँह से खून बह रहा था। सभी बस से उतर आए। पिता जी ने बताया कि वह पानीपत शहर था। कुछ लोग ड्राइवर और रामदयाल जी को डॉक्टर के पास ले गए।

रात के एक बजे डॉक्टर का मिलना कठिन था। नर्सिंग होम का पता किया गया। वहाँ से दवा लेकर सभी लगभग एक घंटे बाद लौटे। दोनों को खरोंचे ही आई थीं। सबने समझाया कि अगला शीशा टूट जाने के कारण बस का चलना कठिन होगा। ड्राइवर ने कहा कि वह धीरे-धीरे बस चलाएगा। चिंता की बात नहीं है। इस समय दुकानें बंद हैं। दिन चढ़ने पर नया शीशा लगवा लेगा। पिता जी चिंतित हो उठे।

ड्राइवर के आश्वासन से सभी की चिंता कम हुई और बस धीरे-धीरे चल पड़ी। अगला शीशा टूट जाने के कारण सामने से तेज़ हवा आ रही थी। इससे बस की गति तो कम थी परंतु वह कभी इधर, तो कभी उधर हो जाती थी। सभी ‘जय माता दी’, ‘जय माता दी’ जप रहे थे। मेरा मन आशंकित था। मुझे किसी बड़ी दुर्घटना होने का भय लग रहा था। मैंने अपनी चिंता पिता जी को बताई तो उन्होंने मुझे आश्वस्त किया। मैं फिर भी सतर्क होकर बैठ गया। मेरी आँखों की नींद उड़ चुकी थी। मेरी दृष्टि ड्राइवर पर जमी हुई थी।

सामने से एक ट्रक तीव्र गति से आ रहा था। ड्राइवर ने बस को बाईं ओर मोड़ा पर बस असंतुलित होकर सड़क से नीचे उतर गई। ड्राइवर कुछ समय पाता इससे पहले ही बस बाईं ओर लुढ़ककर पलट गई। मेरा माथा ज़ोर से किसी चीज़ से टकराया। मेरे सिर से खून बहने लगा। चारों ओर भयंकर शोर और चीत्कारों का स्वर गूंज उठा। मेरी आँखों के आगे गहरा अंधकार छाने लगा। मुझे जब होश आया तो मैं अस्पताल के बिस्तर पर लेटा हुआ था। मेरे माथे पर पट्टी बँधी हुई थी। मेरी दाईं टाँग पर पलस्तर चढ़ा हुआ था। मेरे साथ वाले बिस्तर पर माता जी लेटी हुई थीं। उनके माथे पर पट्टी बँधी हुई थी। पिता जी हमारे सिरहाने बैठे हुए थे। मैंने चारों ओर नज़र दौड़ाई। अस्पताल का हॉल बस यात्रियों से भरा हुआ था। बिस्तरों पर घायल लेटे हुए थे। दिन चढ़ा हुआ था।

मुझे होश में आया देखकर पिता जी प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरने लगे। माता जी साथ के बिस्तर पर लेटी मुस्कराने का असफल प्रयत्न करने लगीं। पिता जी की आँखों में अश्रु भर आए थे। उन्हें भी चोटें आई थीं। पिता जी ने बताया कि केवल दो व्यक्तियों को गंभीर चोटें आई थीं। ड्राइवर की टाँग और बाँह पर पलस्तर चढ़ा था। हमें शाम तक वापस लौटने की अनुमति मिल गई थी। सभी यात्रियों के दिल्ली लौटने का प्रबंध हरियाणा पुलिस ने किया था। उस बस यात्रा का स्मरण करते ही आज भी मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध

My Unforgettable Trip Essay In Hindi : अनादि काल से इंसान एक घुमक्कड़ जी रहा है, जिसे हर जगह घूमना पसंद है। घूमने की कला के वजह से ही इंसानों ने इतने कम समय में पृथ्वी के लगभग सभी इलाकों पर अपना वर्चस्व पा लिया है। जिन लोगों को घूमना पसंद होता है उनके जीवन में एक यात्रा ऐसी होती है, जिसे वह कभी नहीं भूल सकते।

आज हम आप सभी लोगों को मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध के विषय में बताने वाले हैं। यदि आप इसके लिए इच्छुक हैं, तो हमारे इस निबंध को अंत तक जरूर पढ़ें क्योंकि हमारा यहां निबंध विद्यार्थियों के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी होने वाला है क्योंकि ऐसे निबंध परीक्षाओं में भी पूछे जाते हैं, तो चलिए शुरू करते हैं।

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मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध | My Unforgettable Trip Essay in Hindi

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध (250 शब्द).

लगभग सभी लोगों को अनोखे और विचित्र जगह पर घूमना पसंद होता है। घूमने से हमें उस क्षेत्र के बारे में जानकारी मिलती है। मुझे भी नए जगहों पर घूमना काफी पसंद है। इस वजह से मैं अक्सर विभिन्न जगहों पर घूमने जाता रहता हूं। हाल ही में मैंने उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर का सफर किया, जो मेरे लिए कभी ना भूलने वाला सफर रहेगा। 

अगर आप उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर जाएंगे तो सबसे पहले वहां के साफ-सफाई को देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे। भारत में जब से स्वच्छ भारत अभियान चला है, तब से भारत के सभी राज्य अपने आप को पहले से और ज्यादा खूबसूरत बनाने के लिए साफ-सफाई बड़ी जोरों से कर रहे है उसमें भुवनेश्वर भी पीछे नहीं है।

मैंने भुवनेश्वर का सफर अपने गृह शहर पटना से किया। पटना से भुवनेश्वर जाने की एक सीधी ट्रेन जाती है। हम अपने सभी मित्रों के साथ इस ट्रेन पर शाम को चल गए और अगले दिन सुबह भुवनेश्वर की स्टेशन पर उतरे। 

ऑनलाइन सुविधा आ जाने की वजह से हमने स्टेशन के पास एक ओयो कंपनी के कमरे को बुक कर लिया था। अपने सभी मित्रों के साथ हम कमरे में गए और कुछ देर विश्राम करने के बाद भुवनेश्वर शहर के ट्रिप पर निकले। जब आप इस शहर को घूमने निकलेंगे तो इसकी खूबसूरती आपको कुछ इस कदर चकाचौंध करेगी कि आप अपने पूरे जीवन यहां की खुशबू को भूल नहीं पाएंगे।

नीले आसमान में कोई फीट ऊंचे मंदिर पर शिल्पकार की बनाई हुई। एक खूबसूरत आकृति आपके मन को इस कदर उतर जाएगी कि आप उन आकृतियों में कहीं खो से जाएंगे और पुराने जमाने के लोग कितनी समझदारी और गंभीरता से काम कर सकते थे। उनकी यह काबिलियत देखकर आपके होश उड़ जाएंगे।  

शिल्प पर बनाई हुई आकृतियों की बात करें और सम्राट अशोक का याद ना आए ऐसा हो नहीं सकता। भारत के सर्वश्रेष्ठ राजाओं में हमेशा हम सम्राट अशोक को याद रखेंगे। इन की बनाई हुई शिल्प कारीगरी आज भी भुवनेश्वर के म्यूजियम में जीवित है। यहां के मंदिर और शिल्पकार इतनी प्रसिद्ध है कि भुवनेश्वर को पूर्व काशी की उपाधि मिली है। 

इन सभी ऊंचे ऊंचे मंदिर और शिल्प कारी को देखने के बाद वहां के कुछ स्वादिष्ट व्यंजनों को भी हमने चखा मसालेदार खाने है और हरे भरे इलाके खूबसूरत मंदिर ने हमारे मन को कुछ इस कदर लूट लिया कि भुवनेश्वर की खूबसूरती को हम कभी नहीं भूल पाएंगे। 

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध (500 शब्द)

लगभग हर व्यक्ति को घूमना बहुत पसंद होता है आखिर इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा होगा जो अनोखे और विचित्र जगहों को देखकर आश्चर्यचकित ना होता हो। मैं भी इस दुनिया के अन्य घुमक्कड़ लोगों में से एक हूं जो किसी ने जगह पर जाने की बात को सुनकर ही उत्साह से भर जाता हूं। एक बार अपने मित्रों के साथ मैंने कोलकाता जाने का मन बनाया। सभी को भारत के पूर्व राजधानी को देखने का काफी मन था इस वजह से कोलकाता जाने का प्लान बना। 

हम झारखंड की राजधानी रांची में निवास करते थे। यहां से सुबह एक ट्रेन कोलकाता के लिए थी जिस पर विराजमान होकर रात तक कोलकाता पहुंच गए। सबसे पहले तो कोलकाता के स्टेशन पर उतरते। हम बड़े आश्चर्य चकित और उत्साह से भर गए।

यह सोचकर ही आश्चर्य लगता है कि कोलकाता से आगे ट्रेन नहीं जाती। यह भारत की ट्रेन का अंतिम छोर है। कोलकाता भारत के उन गिने-चुने स्टेशनों में से है, जहां आपको स्टेशन पर पुल देखने को नहीं मिलेगा मगर ऐसा नहीं है कि पुल बनाने में कोलकाता पीछे है। स्टेशन से बाहर निकलते ही हावड़ा पुल को देखकर आपके होश उड़ जाएंगे। 

उसे स्टेशन की खूबसूरती और हावड़ा पुल को पार करते हुए हमने इन सब को निहारा और फिर पास ही एक होटल के कमरे में गए। कुछ देर विश्राम करने के बाद अगले दिन सुबह कोलकाता घूमने का निश्चय किया गया। इस जगह पर सबने एक्वा पार्क और जू के बारे में बहुत सुन रखा था मगर सबसे पहले रानी विक्टोरिया का महल देखने का निश्चय किया गया।

विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता के एक प्रसिद्ध महल में से एक है, जिसे देखकर आपके होश उड़ जाएंगे। वह बिल्कुल ताजमहल की तरह सफेद है मगर काफी बड़ा है। विक्टोरिया मेमोरियल के दरवाजे पर खड़े होकर बहुत देर तक हम इस बात के बारे में सोचते रहे कि आखिर वह कौन होगा जो इस महल में रहता होगा। 

वहां से आगे जाने के लिए हमने मेट्रो ट्रेन का सहारा लिया। जिसे हमारे मित्रों के समूह में बहुत सारे लोगों ने पहली बार इस्तेमाल किया था। हालांकि इसके बाद एक्वा पार्क और जू में जाकर हमने बहुत सारी मस्ती की। ऐसी एक से एक ऐसे झूले थे जिसपर बैठ कर हम उत्साह और खुशी से भर गए। इसके बाद हम वहा के काली मंदिर में जाने का विचार किया। 

कोलकाता की काली मंदिर में काली मां को देखकर ऐसा लगता था, जैसे वह मंदिर से बाहर आ रही है। मगर इन सबके बाद हम आपने सभी मित्रो के साथ इतने विभिन्न प्रकार के खाना को हमने खाया और कोलकाता के इतने खूबसूरत नजारे मस्ती देने वाले पार्क और एक से बढ़कर एक स्वादिष्ट व्यंजन ने हमारे दिल को कुछ इस तरह लूटा कि हम अपने इस सफर को जीवन भर भूल ना पाए।

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध (850 शब्द)

घूमना हर किसी को पसंद है लेकिन कभी-कभी हम ऐसे विचित्र सफर पर चले जाते हैं, जिस सफर को हम कभी अपने जीवन में भूल नहीं पाते।  यह हमारे जीवन भर हमारी चाय के साथ हो हम से जुड़ा हुआ रहता है। मैं एक घुमक्कड़ किस्म का इंसान हूं। मैंने भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से मिजोरम तक की दूरी तय की है। मैंने भारत के विभिन्न राज्यों को काफी करीब से देखा है। मगर जब मैं कश्मीर घूमने गया था, तो अपने कश्मीर के सफर को कभी भूल नहीं पाया। 

धरती का स्वर्ग है कश्मीर

कश्मीर को भारतीय धरती का स्वर्ग कहा जाता है। इसी से इसकी खूबसूरती का अंदाजा लगा सकते हैं। चारों और इतने सफेद पहाड़ जिसे देखकर मानव लगता है कि जैसे उन पर कोई दूध उड़ेला रहा है। इतनी लाल सेब के बगीचे जिसे देख कर आप किसी गोरी के गाल को भूल जाएं। ना केवल वहां के बगीचे और पहाड़ बल्कि हरे भरे खेत खलिहान और उन में घूमते हुए गोरे चिट्टे लोग आपको अपना दीवाना बना लेंगे। 

वहां क्या क्या देखा?

इतना खूबसूरत पहाड़ और बगीचा हमने अपने पूरे जीवन में कभी नहीं देखा। बगीचा में सेब के पेड़ के नीचे सोकर हमने कहीं देर तक अपने मित्रों से बातें की। बर्फीले पहाड़ पर चढ़ाई की। वहां के खेत खलिहान को देखते हुए हम कश्मीर के कुछ गांव में भी गए, जहां लगे हुए मेले और उन मेलों में अखरोट और विभिन्न ड्राई फ्रूट के व्यंजन ने हमारी भूख के साथ-साथ हमारे दिल को भी असीम सुख का अनुभव करवाया। 

कश्मीर घूमना किसी सपने से कम नहीं था। हमने वहां डल झील को देखा जहां पानी के आरपार सभी जीव अमित साफ साफ दिखाई दे रहे होते है हाउसबोट का सफर तो बिल्कुल ऐसा लग रहा था। जैसे मानो हम अपने घर में बैठे हो और वह घर पानी में तैरने निकल पड़ा हो।

कश्मीर की वादियां और वहां की खूबसूरत नजारों की तारीफ करते हुए हमारे मस्तिष्क में उपमाओं की कमी हो जाएगी। मगर ऐसी कोई उपमा नहीं बनी, जो उस खूबसूरत शहर की खूबसूरती का परिचय दे सके। कश्मीर को घूमते वक्त लेह को भी जरूर घूमे। लेह गर्मी में घूमने लायक जगह है, जहां की खूबसूरत वादियां और पहाड़ आपको दीवाना बना देंगे।

घाटी और झील कुछ इतने प्रसिद्ध प्रसिद्ध झील हैं, जिनके आसपास के बगीचे और उन पर चल रहे वोट आपको दीवाना बना देंगे यहां हाउसबोट का सफर करना ना भूलें। 

डल झील कुछ गिने-चुने ऐसे जिलों में आता है जहां आपको पानी के अंदर की चीज है बिल्कुल साफ साफ बाहर से ही नजर आती हैं इस जगह पर भी जाना ना भूलें। 

इन सबके अलावा कारगिल की पहाड़ियां अपनी वीरता और पराक्रम की कहानियों की वजह से काफी प्रचलित है उस जगह को भी घूम आए और वहां की युद्ध की कहानियों को सुनें और वीरों को नमन कर के अपने सफर पर आगे बढ़े। 

कश्मीर का सफर कब करना चाहिए

केवल हम नहीं इस विश्व में शायद ही ऐसा कोई होगा जो कभी कश्मीर घूमने जाए और वह इस बात को भूल जाए। कश्मीर और वहां के लोग दोनों ही अपनी खूबसूरती के वजह से पूरे विश्व भर में प्रचलित है। इस जगह को सभी के लिए खूबसूरत कहा जाता है, जब आप गर्मी के दिन में यहां घूमने जाएं। गर्मी के दिन में आपको वहां सभी वादियां हरी-भरी दिखाई देंगी और वहां के सर्द मौसम कब सही मायने में लुफ्त उठा पाएंगे। 

कश्मीर घूमने लायक जगह है और इस सफर को हम भूल जाएं, इस सोच से ही हमारा मन इस प्रकार चिंतित हो जाता है। जैसे मानो अपनी जिंदगी के सबसे खूबसूरत पल को त्यागने के बारे में कोई कह रहा हो। इस वजह से मस्तिक से चाहकर भी कश्मीर की खूबसूरती यों को भूल नहीं पाता। कुछ सबसे सुनहरे पलों में से आपके जीवन का वह पल होगा ,जब आप कश्मीर की वादियों में खड़े होकर वहां के ड्राई फ्रूट की खुशबू लेते हुए बड़े-बड़े बर्फ से नहाते हुए पहाड़ को देखेंगे और अपने आप आपके मुंह पर एक मुस्कुराहट आ जाएगी। जो इस बात का प्रमाण होगी कि इस जगह की खूबसूरती ने आपके दिल को छू लिया है। 

मैंने कभी सोचा भी नही था की यह सफर मेरे जीवन में यादगार बन जायेगा। जब कभी भी इस सफर को अपने खाली पलों में याद करता हूँ, तब मेरा मन फिर से रोमांचित हो जाता है और शरीर में पूरी ऊर्जा भर जाती है।

आज के आर्टिकल में हमने मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध (My Unforgettable Trip Essay in Hindi) के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है की हमारे द्वारा लिखा गया यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल में कोई शंका है तो वह हमें कमेंट में पूछ सकते है।

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मेरी अविस्मरणीय यात्रा निबंध | Essay on My Unforgettable Journey in Hindi

मेरी अविस्मरणीय यात्रा निबंध | My Unforgettable Journey in Hindi | Hindi Essay | My Unforgettable Journey Essay in hindi.

कई लोगों को भागनl दौड़ना,नाचना ,गाना, कविताएं लिखना किताबें पढ़ना आदि छंद होते हैं। उसी प्रकार मुझे यात्राएं करने का छंद है। मुझे यात्रा करना बहुत पसंद आता है। जंगल की हरियाली देखना, पेड़ पौधों से बातें करना। कभी ऊंचे ऊंचे पहाड़ कभी सपाट जमीन पर बहती हुई नदी के साथ बहना। ऐतिहासिक किलो तथा ऐतिहासिक स्थानों में जाकर इतिहास को फिर से जीना, इतिहास को समझना। शहरों की ऊंची आसमानों से बातें करती हुई इमारतों को नजर उठा कर देखना। तो कभी गांव की सभ्यता को समझना। कभी ट्रेन से यात्रा करना। तो कभी ऑटो बस रिक्शl से यात्रा करना। नए नए स्थानों पर जाकर नए नए लोगों से मुलाकात करना नए लोगों से मिलना। ऐसे कई कारण है जिनकी वजह से मुझे यात्रा करना बहुत पसंद है। यह तो मैंने अपने जीवन में कई यात्राएं की है। जंगलों के ऊंचे ऊंचे पहाड़ से देखें शहरों की ऊंची ऊंची इमारत देखी है। कई बार ऐतिहासिक स्थानों पर जाकर इतिहास में खो गई हु । कई बार मंदिर में जाकर अचल मन को शांत किया है। ऐसे कई यात्राएं मैंने की है। परंतु इन सब में से मेरी अविश्वसनीय और पसंदीदा यात्रा दिल्ली की याद आ रही है।

my unforgettable journey essay in hindi

ठंड के मौसम में की गई दिल्ली की यात्रा मुझे आज भी याद है। मेरी यह अविस्मरणीय यात्रा है जो मुझे अपने जीवन भर याद रहेगी। इस यात्रा में जो सुखद में अनुभव किया है शायद मैंने किसी अन्य यात्रा में किया हो। यूं तो दिल्ली एक भीड़भाड़ भरे शहर है। हमने जब दिल्ली की यात्रा करने के बारे में विचार किया तो दिल्ली में यात्रा करें या ना करें इस बात पर चर्चा की गई। हमने जब दिल्ली की यात्रा की तो वह सर्दियों के दिनों से। दिल्ली अपने सर्दी के लिए काफी मशहूर है। मुझे तारीख ठीक से तो याद नहीं पर शायद वह जनवरी का अंतिम सप्ताह था जब हम दिल्ली आए। सुबह के समय दिल्ली पहुंचने के बाद हमारी जैसे-जैसे दिल्ली की ओर बढ़ते जा रही थी वैसे वैसे कोहरा बढ़ता जा रहा था। सुबह के लगभग 7:00 या 8:00 बज चुके थे पर कोहरा घना होने के कारण कुछ दिखाई ना दे रहा था। चारों तरफ कोहरा ही कोहरा छाया हुआ था। कोहरे की चादर में कोई व्यक्ति एक दूसरे को भी देख पाना काफी मुश्किल हो रहा था। उस समय ऐसा महसूस हो रहा था मानो जैसे सुबह के 4:00 या 5:00 बजे हो। इसी तरह सुबह के 9 ,10 बजे तक कोहरे के बादल बने रहे। हमने उस समय जो ठंड महसूस कि वह शायद ही शब्दों में बयां कर पाऊं। शरीर का हर एक सर्दी से कांप रहा था। ऊपर से सर्द हवा के झोंके इनसे ऐसा महसूस हो रहा था मानो जैसे हम बर्फ कर खड़े हैं। स्टेशन से बाहर निकल कर हम अपने स्थान की ओर प्रस्थान किया। मेट्रो ट्रेन से की गई चांदनी चौक तक की यात्रा की। दिल्ली के लोगों के चकाचौंध तथा भागदौड़ भरी जिंदगी देखकर दंग रह गए।

शाम के समय हमने चांदनी चौक बाजार का लुफ्त उठाया। तन्ग गलियों में सजा बाजार हर किसी को अपनी और आकर्षित करता है। रास्ते के किनारे लगी वह चूड़ियां कंगन और बालियों की दुकान हमें अपने और बुलाती है। इतना सुंदर बाजार मैंने पहले कभी शायद देखा था। कहां घूमते वक्त का पता ही नहीं चलताl जामा मस्जिद चांदनी चौक न्यू दिल्ली में स्थित है। यह मुगलों द्वारा बनाया गया वास्तुकला का एक उत्तम उदाहरण है। यह वास्तुकला शाहजहां द्वारा बनाई गई थी। यह एक साथ 25000 लोग बैठ कर एक साथ नमाज पढ़ सकते हो आप। जामा मस्जिद में प्रतिदिन हजारों पर्यटक आते हैं।

दिल्ली में जो दूसरा स्थल हमने देखा वह का इंडिया गेट। इंडिया गेट यह जनपद के पास स्थित है। यह तो हम सभी जानते हैं कि इंडिया के स्वतंत्रता का राष्ट्रीय स्मारक है। दिल्ली में स्थित लोटस मंदिर यह एक आकर्षण का मुख्य केंद्र है। लोटस मंदिर यह बहाइ लोगों का मंदिर है। लोटस मंदिर में दिनभर पर्यटकों का आना-जाना शुरु रहता है। यह एक ऐसा खूबसूरत स्मारक है जो लोगों का मन अपनी तरफ मोह जाता है। इसकी खूबसूरती ऐसी है कि वह लोगों को आश्चर्य में डाल दिया। ऐतिहासिक इमारतों के लिए प्रसिद्ध दिल्ली में हमने अन्य कई स्थान देखें l सर्दी में जो ठंडा वातावरण होता है। खूबसूरत ऐतिहासिक स्मारक। इन सब के कारण मेरी दिल्ली की यात्रा अविश्वसनीय रही।

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Essay Writing on My Unforgettable Journey in hindi

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध.

मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर हिंदी निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, और 9 के विद्यार्थियों के लिए। – Essay Writing on My Unforgettable Journey in hindi – My Unforgettable Journey Essay in hindi for class 5, 6, 7, 8 and 9 Students. Essay on My Unforgettable Journey in Hindi for Class 5, 6, 7, 8 and 9 Students and Teachers.

रूपरेखा : प्रस्तावना – गंतव्य स्थान तक पहुँचना – वहाँ का वातावरण – दर्शनीय स्थल – अन्य मनोरंजन – बाजार – उपसंहार।

मुझे यात्रा करना बहुत अच्छा लगता है। मैंने आज तक कई यात्राएँ की हैं। पिछली छुट्टियों में मैं माथेरान गया था। यह यात्रा मेरे लिए यादगार बन गई है।

बारिश के मौसम में मैंने अपने कुछ मित्रों के साथ माथेरान जाने का निश्चय किया था। मेरा पड़ोसी में रहने वाला राहुल भी हमारे साथ था। वह कालेज में पढ़ता है। हम मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से ट्रैन में बैठे। ढाई घंटे के सफर के बाद हम नेरल पहुँचें।

वहाँ से हम छोटी ट्रैन जिसे ‘मिनी ट्रेन’ कहते है उसमें बैठकर माथेरान की ओर चल पड़े। चारों ओर फैली हरियाली, हरे भरे पेड़ और गहरी घाटियों की शोभा का आनंद लेते हुए हम माथेरान पहुँचे। वहाँ हम होटल में ठहरे।

माथेरान का वातावरण मोहक और स्फूर्तिदायक था। लाल-लाल मटमैले रास्ते और घने जंगल मन को मोह लेते थे। दोपहर के समय भी वहाँ की हवा में ठंडक थी। माथेरान में देखने लायक कई स्थल हैं। सुबह और शाम के समय हमने घूम-घूमकर इनमें से अनेक स्थल देखे।

यहाँ के हर स्थल की अपनी अलग सुंदरता और विशेषता है। पर कुछ स्थल तो सचमुच अद्भुत हैं। एको (प्रतिध्वनि) प्वाइंट पर हमने कई बार चिल्लाकर अपनी ही प्रतिध्वनियाँ सुनीं। दूसरे दिन शाम को हमने सनसेट (सूर्यास्त) प्वाइंट पर डूबते हुए सूर्य के दर्शन किए। पैनोरमा (चित्रावली) प्वाइंट ने तो हमारा दिल ही जीत लिया। शारलोट तालाब की शोभा निराली थी। हमने घुड़सवारी की और हाथ-रिक्शे पर बैठने का मजा भी लिया। हमने अपने कैमरों से वहाँ के कई स्थानों की तस्वीरें खीची। वहाँ हम रोज घंटों पैदल चलते थे, पर जरा भी थकान नहीं लगती थी।

माथेरान के छोटे-से बाजार में दिनभर यात्रियों का मेला-सा लगा रहता था। जूते-चप्पल, शहद, चिक्की, रंगबिरंगी छड़ियाँ, सुंदर-सुंदर फूलों के गुलदस्ते आदि चीजें यहाँ खूब बिकती हैं। हमने भी चिक्की और शहद खरीदा।

माथेरान में चार दिन चार पल की तरह बीत गए और हम घर लौट आए। वहाँ के मनोहर दृश्य आज भी मेरी आँखों के सामने तैर रहे हैं।

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Essay on An Unforgettable Journey

Students are often asked to write an essay on An Unforgettable Journey in their schools and colleges. And if you’re also looking for the same, we have created 100-word, 250-word, and 500-word essays on the topic.

Let’s take a look…

100 Words Essay on An Unforgettable Journey

The beginning of the journey.

My unforgettable journey began when I boarded a train to visit my grandparents. The bustling station, filled with people, was exciting.

The Traveling Experience

On the train, I met different people. We shared stories, food, and laughter. The changing landscape outside was mesmerizing.

The Arrival

As I arrived, my grandparents’ warm welcome filled my heart with joy. Their small town had its unique charm.

This journey was unforgettable because of the people I met, the sights I saw, and the experiences I had. It taught me to appreciate the beauty of life.

250 Words Essay on An Unforgettable Journey

The prelude: a journey begins.

Every journey has a story, and every story has a protagonist. In this case, the protagonist was me, a college student yearning for an adventure. I embarked on a journey that was not just about traversing geographical distances but also about self-discovery.

The Adventure: Embracing the Unknown

My journey began in the bustling city of Mumbai and led me to the serene landscapes of Ladakh. The stark contrast between the two places was as different as day and night. The city’s chaos was replaced by the tranquility of mountains, and the skyscrapers were replaced by towering peaks. The journey was not smooth; there were unexpected challenges and hurdles, but they only added to the thrill.

The Epiphany: Lessons Learnt

The journey taught me resilience, patience, and the ability to appreciate the little things in life. It made me realize how insignificant our daily worries are in the grand scheme of things. The journey unveiled the raw beauty of nature and the simple lifestyle of the locals, which was a stark contrast to the materialistic life in the city.

The Aftermath: An Unforgettable Journey

The journey was not just about the destination; it was about the experiences, the people, and the lessons learned. It was an unforgettable journey that left an indelible mark on me. It was a journey that transformed me, a journey that I will carry in my heart forever. It was indeed an unforgettable journey, a journey of a lifetime.

In conclusion, every journey is a story waiting to be told, and every story is a journey waiting to be taken. It’s the journey, not the destination, that shapes us.

500 Words Essay on An Unforgettable Journey

The prelude to the journey.

Every journey is a mosaic of experiences, a tapestry of memories woven together over time. One such unforgettable journey that left an indelible mark on my life was a trekking expedition to the Himalayas.

Embarking on the Adventure

The journey began with an overnight train ride from Delhi to a small town nestled in the foothills of the Himalayas. As the train chugged along, the urban landscape gradually gave way to the serene beauty of the countryside. The excitement was palpable, not just for the destination, but also for the journey itself.

The trek was a test of endurance, courage, and perseverance. The terrain was treacherous, the weather unpredictable, and the altitude sickness a constant threat. But the sight of the majestic mountains, the sound of the bubbling streams, and the smell of the fresh mountain air made it all worthwhile. Every step taken was a step closer to self-discovery, every challenge faced a lesson in resilience.

The Epiphany

The pinnacle of the trek was an ethereal sunrise from the summit. As the first rays of the sun kissed the snow-capped peaks, the world seemed to stand still. It was a moment of profound clarity, a realization of our insignificance in the grand scheme of things, and yet, a recognition of our potential to conquer our fears and overcome our limitations.

The Descent and Beyond

The descent was no less challenging, but the sense of accomplishment and the memories made along the way made it easier. The journey was not just about reaching the summit, but also about the bonds forged, the friendships nurtured, and the stories shared. It was a journey of self-discovery, of pushing boundaries, and of finding joy in the journey itself.

Reflecting upon this unforgettable journey, I realized that it was a microcosm of life itself. Just like the trek, life is full of ups and downs, challenges and triumphs. It is not the destination, but the journey that shapes us, that defines us. It is the experiences we gather, the lessons we learn, and the memories we make that truly matter. This unforgettable journey was a testament to the fact that it is not the mountains we conquer, but ourselves.

In conclusion, an unforgettable journey is not merely a physical journey from one place to another, but also a journey of the mind and the soul. It is about stepping out of our comfort zones, challenging ourselves, and growing in the process. It is about embracing the journey, with all its challenges and triumphs, and making it a part of our story.

That’s it! I hope the essay helped you.

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  • Essay on A Journey by Train
  • Essay on A Journey by Bus

Apart from these, you can look at all the essays by clicking here .

Happy studying!

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मेरे जीवन की अविस्मरणीय घटना पर निबंध Essay On Unforgettable Incident In Hindi

मेरे जीवन की अविस्मरणीय घटना पर निबंध Essay On Unforgettable Incident In Hindi: हरेक व्यक्ति के अपने अनुभव होते है.

अविस्मरणीय घटना उन क्षणों को कहा जाता है, जिन्हें जान बुझकर भी आप अपने जीवन में भुला नही सकते हैं. जीवन में प्यार का लम्हा, एक्सीडेंट दुर्घटना का द्रश्य, बाढ़ का नजारा तेज बरसात का दिन,में वे ही चीजे आती है.

जिनसे लोगों के जीवन का सम्बन्ध होता है हम पास खड़े होकर भी कुछ नही कर पाते हैं. ऐसे ही आज के यादगार घटना न भुलाने वाली घटना पर आधारित निबंध हैं.

अविस्मरणीय घटना पर निबंध Essay Unforgettable Incident In Hindi

मेरे जीवन की अविस्मरणीय घटना पर निबंध Essay On Unforgettable Incident In Hindi

प्रस्तावना:  इस संसार में अनेक ऐसी घटनाएं घट जाती हैं जिन्हें हम नही जानते. जैसे भयानक बाढ़ या भूकम्प आना, हैजा, चेचक आदि का फैलना या किसी अग्निकांड का होना आदि.

जो मनुष्य पर विपत्ति का पहाड़ गिरा देता हैं. यहाँ एक भयानक अग्निकांड का आँखों देखा वर्णन किया जा रहा हैं, जो कि मेरे लिए अविस्मरणीय घटना  हैं.

अग्निकांड का स्थान व समय : जून का महिना था भीषण गर्मी से बचने के लिए हमारे गाँव के अधिकतर लोग दोपहरी में पेड़ों की छाँव में विश्राम कर रहे थे. हमारे गाँव में लगभग सभी के घर में छप्पर बने हुए हैं.

गाँव के बीच में रामदीन किसान का घर था. दोपहरी में अचानक ही उसके छप्पर में आग लग गई. बात ही बात में आग की लपटों ने भयंकर रूप धारण कर लिया.

अग्निकांड का दृश्य – आग की उठती लपटों को देखकर चारो ओर हो हल्ला होने लगा. सभी आग को बुझाने के लिए दौड़ पड़े. कोई कंधे पर घडा लेकर, कोई हाथ में बाल्टी लेकर आग बुझाने का जी जान से प्रयास करने लगे.

आग भयकर रूप धारण कर चुकी थी. लोग ज्यो ज्यो पानी डालते, त्यों त्यों आग शांत होने की बजे और बढ़ रही थी. चारो ओर से पानी लाओ पानी लाओ की आवाज आ रही थी.

उधर रामदीन किसान की पत्नी छाती पीटती रो रही थी. लगभग एक घंटे के अथक परिश्रम के बाद आग पर काबू पाया जा सका लेकिन तब तक उसका छप्पर तथा उसमें रखा सारा सामान स्वाहा हो चूका था.

दुर्घटना से हानि – उस अग्निकांड को मैंने अपनी आँखों से देखा था और आग बुझाने वालों का भी मैंने जी जान से सहयोग किया था. लेकिन बेचारे रामदीन का घर का सारा सामान जलकर राख हो गया था.

उसके साथ ही उसकी दो साल की बच्ची भी जो छप्पर के नीचे सो रही थी, जलकर मर गई. इससे उसके परिजनों का करुण विलाप सभी के ह्रदयों को शोक में डूबा रहा था. सभी दुखी और बैचेन थे.

उपसंहार- गाँव के सभी लोगों ने रामदीन के परिवार वालों को होनी को कोई नही टाल सकता कहकर और समझा बुझाकर शांत किया. साथ ही सबने मिलकर उसकी सहायता की.

छप्पर के जल जाने और बच्ची के मर जाने का अफ़सोस तो सभी को रहा, जो आज भी मुझे उस भयंकर अग्निकांड का स्मरण हो आता हैं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

Essay on Unforgettable Incident in My Life in Hindi

जीवन और घटनाएं – जीवन एक सरिता है जिसमें उतार चढ़ाव आते रहते हैं. हमारे जीवन काल में अनेकानेक घटनाएं घटित होती रहती हैं. कई घटनाएं ऐसी होती हैं जो क्षणिक प्रभाव डालकर सदैव के लिए विस्मृत हो जाती हैं.

कई घटनाएं ऐसी होती हैं. जिनकी स्मृति मानस पटल पर अपना प्रभाव सदैव बनाए रखती है और भूल जाने का प्रयत्न करने पर भी बार बार हमारे मानस में पुनरावृत्ति करती रहती हैं.

मानव प्रकृति के अनुसार दुर्घटनाएं अधिक याद रहती हैं. यहाँ मैं एक ऐसी ही आँखों देखी घटना का वर्णन कर रहा हूँ जिसकों मैं कभी भूल न पाउगा.

यात्रा का प्रयोजन एवं कार्यक्रम -दीपावली के तुरंत बाद एक शैक्षणिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने हम सभी साथी अजमेर गये थे.

सात दिन तक हमारा शैक्षणिक कार्यक्रम चलता रहा. हंसी मजाक के वातावरण में हमने हमारा समय बड़े ही आनन्द के साथ व्यतीत किया.

अंतिम दिन कार्तिक सुदी एकादशी का था. एक पंथ दो काज की कहावत चरितार्थ करने के लिए मैंने अपने साथियो के समक्ष पुष्कर स्नान का प्रस्ताव रखा. हम सब साथी बस में बैठकर पुष्कर के लिए रवाना हुए.

रास्ते का प्राकृतिक दृश्य देखकर मन मयूर नाच उठा. पहाड़ों को काटकर बनाई गई सड़क के टेड़े मेढे रास्ते में भी हमारी बस तीव्र गति से चल रही थी. आखिरकार हम लोग पुष्कर पहुच गये.

यात्रा के मनोरम प्रसंग – पुष्कर में उस दिन भारी भीड़ थी, ग्रामीण औरतों की रंग बिरंगी पोशाकें ऐसी प्रतीत हो रही थीं मानों फैंसी ड्रेसेज की प्रतिस्पर्धा हो रही हो.

भीड़ के मध्य जाना कठिन कार्य था, फिर भी भीड़ को चीरते हुए हम सरोवर पर पहुचे. वहां पर स्नानार्थियों की भीड़ थी.

हमने कम भीड़ वाले घाट पर स्नान करने का निश्चय किया. इसी घाट पर कुछ ग्रामीण परिवार भी स्नान कर रहे थे. मैंने देखा कि एक महिला ने स्वयं स्नान किया, फिर वह लगभग आठ वर्ष के बालक को नहलाने लगी.

बालक की कुचपलता तथा माता के हाथों की शिथिलता से बच्चा हाथ से छुट गया और गहरे पानी की ओर बहकर डूबने लगा. वह देखकर माता के रूदन क्रन्दन ने मंगल में अमंगल कर दिया.

घटित घटना एक अविस्मरणीय दृश्य -बालक के डूबने का समाचार वहां चारों ओर फ़ैल गया. सारे दर्शनार्थी और सभी स्नानार्थी सरोवर के चारों ओर खड़े होकर पानी में नजर गड़ाएं हुए थे.

कई गोताखोरों ने भी पानी में बच्चे की तलाश की. दमकल विभाग की मोटर भी आई लेकिन सारे प्रयत्न असफल रहे.

बालक के माता पिता बुरी तरह चीख चिल्ला रहे थे. उनके रोने चीखने को देख व सुनकर अन्य व्यक्तियों की आँखों से भी अश्रुधारा प्रभावित होने लगी. इतने में ही सरोवर के मध्य में कुछ काली वस्तु दिखाई दी.

मल्लाह लोग और तैराक उस वस्तु की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे थे. कि थोड़ी दूर पर बच्चे का हाथ दिखाई दिया और दूसरे क्षण देखा गया कि एक मगर बालक को मुहं में दबाया हुए ऊपर उठा और एकदम नीचे चला गया.

उस दृश्य को देखकर माता बेहोश हो गई. उस घटना को देखकर हम सभी अत्यधिक व्यतीत हो गये और मुहं लटकाए वापिस आ गये.

उपसंहार – मैंने जीवन में अनेक घटनाएं देखी, परन्तु ऐसी करुण घटना केवल एक ही बार देखी, बार बार भुलाने का प्रयत्न करने पर भी वह दृश्य मेरी आँखों के सामने आ जाता है और शोक विहल हो जाता हूँ.

मेरे जीवन के लिए तो यह चिरस्मरणीय घटना है, इसे मैं कभी भी नहीं भुला सकूंगा.

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मित्रों मेरे जीवन की अविस्मरणीय घटना पर निबंध Essay On Unforgettable Incident In Hindi  में दिया गया निबंध एक बुरी घटना का था,

भगवान करे ऐसा किसी के साथ न घटे.  अविस्मरणीय घटना या An Accident Essay  आपकों भी याद हो तो हमारे साथ जरुर शेयर करे.

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मेरे जीवन का यादगार दिन | A Memorable Day of My Life in Hindi

my unforgettable journey essay in hindi

मेरे जीवन का यादगार दिन |  A Memorable Day of My Life in Hindi!

हमारे जीवन में कुछ ऐसे दिन आते हैं जो कई दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होते हैं । ऐसे कुछ दिन याद रखने योग्य होते हैं । इन्हें भूल पाना कठिन होता है क्योंकि ये दिन हमारे मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ जाते हैं ।

ये यादगार दिन अच्छे या बुरे किसी भी प्रकार के हो सकते हैं । अंतर इतना ही है कि अच्छे दिनों को हम बार-बार याद करते हैं तथा बुरे दिनों को हम भुलाना चाहते हैं । मुझे याद आता है वह दिन जब मुझे बड़े भाई ने सूचना दी कि तुम्हारा चयन कबड्डी की राज्य स्तरीय टीम में हो गया है ।

मैं तो खुशी से झूम उठा । भाई ने शाबाशी दी । माता-पिता ने आशीर्वाद दिया । इन सभी ने मेरे सफल खेल जीवन की कामना की । मेरे मित्रों ने टेलीफोन पर मुझे बधाई दी । इस घटना का दूसरा पड़ाव था सभी चयनित खिलाड़ियों का राजधानी भोपाल में सम्मिलन । मध्य प्रदेश राज्य के जूनियर टीम के खिलाड़ी भोपाल में मिले । हमें एक अतिथि गृह में ठहराया गया ।

वहाँ हमारे साथ कबड्डी टीम के प्रशिक्षक एवं मैनेजर भी थे । प्रशिक्षक के नेतृत्व में हमने एक सप्ताह तक कड़ा अभ्यास किया । हमें प्रतिदिन प्रात: चार बजे उठकर साढ़े चार बजे योगाभ्यास करना होता था । कुछ देर बाद व्यायाम कराया जाता है । फिर हमारा नाश्ता होता था । नाश्ते के बाद खिलाड़ियों को कबड्डी खेल के गुर सिखाए जाते थे । हमने जमकर अभ्यास किया ।

अभ्यास सत्र खत्म होने के पश्चात् हम लोग जूनियर कबट्टी खिलाड़ियों की राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए चंडीगढ़ पहुँचे । यहाँ हम एक होटल में ठहरे । इस होटल में देश के विभिन्न प्रांतों की कुछ अन्य टीमें भी ठहरी हुई थीं । लीग मैच में हमारी पहली प्रतिद्वंद्वी टीम झारखंड की थी जिसे हमने शानदार अंतर से पराजित किया ।

हमारा दूसरा मुकाबला उत्तर प्रदेश की टीम से था । उत्तर प्रदेश की कबड्डी टीम के साथ हमारा काँटे का मुकाबला हुआ और मैच बराबरी पर छूटा । तीसरा मुकाबला गोवा की टीम से हुआ जिसे हराने में हमें कोई परेशानी नहीं हुई ।

ADVERTISEMENTS:

आखिरकार हमारी टीम सेमी फाइनल में पहुँची । सेमी फाइनल में हमारी भिड़ंत शक्तिशाली हरियाणा की टीम से हुई । हमारी टीम ने यह मोर्चा भी जीत लिया परंतु फाइनल में हमारी टीम मणिपुर की कबड्डी टीम से मामूली अंतर से हार गई ।

फाइनल में हार के बावजूद वापस भोपाल पहुँचने पर हमारा जोरदार स्वागत किया गया । मुख्यमंत्री महोदय में हमारी टीम के सभी खिलाड़ियों को नाश्ते पर बुलाया । हमने उनसे बातें कीं । उन्होंने जोशीले अंदाज में हमारा उत्साह बढ़ाया ।

परंतु मेरे लिए सबसे सुखद क्षण वह था जब मुझे राज्य के सर्वश्रेष्ठ कबड्डी खिलाड़ी का सम्मान दिया गया । मुख्यमंत्री महोदय ने मुझे प्रशस्ति-पत्र मैडल और दस हजार रुपए नकद पुरस्कार प्रदान किए । सम्मान प्राप्त कर मैं फूला न समा रहा था । यह दिन मेरे जीवन का सबसे यादगार दिन बन गया ।

लौटकर घर आने पर पिताजी ने मुझे गले से लगा लिया । मेरा पूरा परिवार सगे-संबंधी मित्र सभी मेरे व्यक्तिगत प्रदर्शन पर बहुत खुश थे । विद्यालय के प्रधानाचार्य ने मेरे प्रदर्शन पर मुझे शाबाशी दी अध्यापकों की ओर से भी काफी सराहना मिली ।

मेरे घर वालों ने इस खुशी में एक चाय पार्टी दी । मैं इस यादगार दिन की महत्ता समझता हूँ । मुझे पूरे देश की सीनियर टीम में स्थान पाने के लिए अभी लंबा संघर्ष करना पड़ेगा ।

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Essay on Unforgettable Incident in My Life in Hindi – जीवन की अविस्मरणीय घटना पर निबंध

March 13, 2018 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में जीवन की अविस्मरणीय घटना पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph & Short Essay on Unforgettable Incident in My Life in Hindi Language for students of all Classes in 400 to 500 words.

Essay on Unforgettable Incident in My Life in Hindi – जीवन की अविस्मरणीय घटना पर निबंध : भूमिका : जीवन सुख दुख का पुंज है। कभी सुख है तो कभी दुख। कभी धूप है तो कभी छाँव। परन्तु जीवन में कभी ऐसी घटनाएँ घटती हैं जो अपनी अमिट छाप छोड़ जाती हैं। ऐसी अविस्मरणीय घटनाएँ हम कभी नहीं भूलते।

कार्यक्रम : जुलाई का महीना था। गर्मी की छुट्टियों के दिन थे। मेरे मित्र सुरेश ने कृष्ण जन्म- भूमि ‘मथुरा देखने का कार्यक्रम बनाया। हमने अपनी कार में जाकर शाम को लौट आने का निश्चय किया। अतः आवश्यक सामान कार में रख कर हम प्रातः सात बजे अपने घर से निकले। ‘ताज एकसप्रेस’ हमारे सामने से निकली। मित्र की इच्छा थी कि हम ‘मथुरा’ इस गाड़ी से पूर्व पहुँचे। अतः कार की गति तीव्र कर दी गई और जी०टी० रोड से पलवल के पास बाई ओर छोटी सड़क ले ली गई। वह सड़क गाँव को जाती थी। हम शीघ्र ही ‘ कोसी गाँव में पहुँचे। वहाँ से कार फिर जी टी रोड की ओर मोड़ी। सड़क अच्छी नहीं थी। हमें जल्दी थी।

अतः टूटी सड़क पर तीव्र गति से चलने के चर का इलाज करने के लिए हमने कारण पिछले पहिये में पंचर हो गया। पंचर का इलाज करने दूसरा टायर देखा तो उसमें हवा कम थी। अब तो हमारे तोते उड़न तथा। जगल का मामला था। आकाश में कजरारे बादल थे। सुनसान मार्ग था। आधा घंटा बीत गया किन्तु कोई मार्ग नहीं सूझ रहा था। अचानक जोर से वर्षा होने लगी। एक पेड़ सड़क के किनारे तेज वायु के कारण गिर गया। हम अपनी कार में बैठे भगवान कृष्ण को याद करने लगे। साचा यदि मरना है तो पवित्र भूमि मथुरा में मरेंगे। यहाँ जंगल में मरने से क्या लाभ। वर्षा रुकने पर एक बैलगाड़ी आती दिखाई दी।

हमने बैलगाड़ी चालक को अपनी व्यथा सुनाई। उसे हम पर दया आ गई। शायद वह भी कृष्ण भक्त था। उसने मुझे अपनी गाड़ी पर बैठने की आज्ञा दी। मैं टायर को लेकर गाड़ी में बैठा। थोड़ी दूरी पर एक पैट्रोल पंप था। वहाँ से टयूब में हवा भरवा कर मैं उसी बैल गाड़ी द्वारा वापिस आया। हमने जैक लगा कर टायर बदला और मथुरा के लिए प्रस्थान किया। दोपहर को हम मथुरा पहुँचे। वहाँ से हम वृन्दावन होते हुए रात को आठ बजे घर पहुँचे। घर वाले बहुत चिन्तित थे। हमारे लौटने पर उन्होंने सुख की साँस ली। ऐसी घटना को मैं कभी नहीं भुला सका।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध  ( Essay on Unforgettable Incident in My Life in Hindi – जीवन की अविस्मरणीय घटना पर निबंध ) को पसंद करेंगे।

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Unforgettable Incident in My Life in Hindi Essay for all students of class 1, 2, 3, 4, 5, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Most students find difficulty in writing essay on new topics but you don’t need to worry now. Read and write this essay in your own words. यादगार दृश्य पर निबंध।

Unforgettable Incident in My Life in Hindi

hindiinhindi Unforgettable Incident in My Life in Hindi

विचार – बिंदु – • छेड़छाड़ की घटना • चार गुंडों का लड़की को छेड़ना • किसी रक्षक युवक की ललकार • अविस्मरणीय अनुभव।

अविस्मरणीय दृश्य वह होता है जो कभी भुलाए नहीं भूलता। उसकी छाप हृदय पर सदा-सदा के लिए अंकित हो जाती है। मुझे वह घटना कभी नहीं भूलती, जबकि चार युवकों ने दोपहर 12 बजे एक युवती को सरेआम छेड़ा। मैंने अपने सामने से चलती सड़क पर यह दृश्य देखा। युवकों में शर्त लगी कि इस सामने आती लड़की को कौन छेडकर दिखाएगा। बस एक युवक इस पागलपन के लिए तैयार हो गया। उसने लड़की के गालों पर हाथ फेरा। लड़की ने विरोध किया तो उसने मारने के लिए हाथ उठाया।

तभी अचानक दूर से एक मोटरसाइकिल सवार ने उस लड़के को ललकारा – ‘आज शाम तक तुझे शहर से न उठवा लिया तो मेरा नाम आज़ाद नहीं।’ ज़रूर उस जोशीले युवक का नाम आजाद रहा होगा। यह ललकार सुनकर ये युवक सँभले। इनकी चाल तेज हुई। फिर न जाने क्या हुआ! मेरी आँखों के सामने तो यह दृश्य आज भी अंकित है। इसलिए आज भी मैं चार मदमस्त नवयुवकों को एक साथ देखता हूँ तो लगता है कि ये अभी गुंडागर्दी करेंगे। और जब ललकारती हुई आवाज़ सामने से आती है तो भरोसा भी होता है।

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